देशभर में CAA एक बड़ा मुद्दा बना हुआ था. मुस्लिम समुदाय द्वारा इसका व्यापक विरोध भी किया गया था. लेकिन सोमवार को केंद्र सरकार की ओर से इसे देशभर लागू कर दिया गया. इस कानून के लागू हो जाने से गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिल सकेगी. इसके लिए उन्हें केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए पोर्टल पर आवेदन करना होगा.
3. CAA पर सरकार का तर्क
- सरकार का यह मानना है कि CAA केवल मुस्लिम-बहुल देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करता है. साथ ही सरकार का ये भी तर्क है कि इन देशों में मुस्लिम बहुसंख्यक है फिर वह कैसे प्रताड़ित हुए. इसीलिए यहां पर प्रताड़ित होकर आने वाले अल्पसंख्यकों को ही नागरिकता दी जानी चाहिए.
. वर्तमान में CAA (नागरिकता संशोधन अधिनियम) की नवीनतम खबरें इस प्रकार हैं:
- CAA के लागू होने के बाद विरोध प्रदर्शन: CAA के लागू होने के बाद, कई स्थानों पर मुस्लिम समुदायों द्वारा विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। वे इस कानून को गलत बता रहे हैं और सरकार से इसे रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
- मुस्लिम समुदायों का आरोप: मुस्लिम समुदायों के अनुसार, सीएए कानून से वे आतंकवादी भावनाओं का शिकार होंगे और उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने में कठिनाई होगी।
- सरकार का तर्क: अन्य ओर, सरकार ने कहा है कि सीएए का उद्देश्य केवल गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों को नागरिकता प्रदान करना है, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हैं और वहां संघर्ष और प्रताड़ना का सामना कर रहे हैं।
- अपील सुनवाई में: सीएए के खिलाफ कई याचिकाएं सुनवाई में हैं, जो इस कानून को रद्द करने की मांग कर रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस सम्बंध में कुछ संदेश पेश किए हैं और अगले दिनों में अधिक सुनवाई की जा सकती है।
- यहां तक कि, सीएए के बारे में नवीनतम समाचारों के लिए आप स्थानीय समाचार चैनलों और खबरी वेबसाइटों की जांच कर सकते हैं।
क्या है CAA?
. CAA यानी की नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act)
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 यानी सीएए (CAA) को लागू करने से जुड़े नियमों को सोमवार को अधिसूचित कर दिया गया. सीएए पाकिस्तान (Pakistan), बांग्लादेश (Bangladesh) और अफगानिस्तान (Afghanistan) से आए बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के लिए है|
नागरिकता (संशोधन) कानून को केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में संसद में पास किया था. इस बिल का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आये 6 समुदायों (हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी) के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देना है| वैसे इस बिल में मुस्लिम समुदाय को शामिल नहीं करने पर कई राजनीतिक पार्टियों द्वारा विरोध भी किया जाता रहा है|
सीएए के नियम जारी हो जाने के बाद अब मोदी सरकार 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता देना शुरू कर देगी| ये कानून किसी को भी नागरिकता से वंचित नहीं करता न ही यह किसी को नागरिकता देता है.
यह अधिसूचना केवल उन्हीं लोगों को छूट देती है जो हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई हैं, अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान से हैं और अगर वे भारत में 31 दिसंबर, 2014 से पहले धार्मिक उत्पीड़न की आशंका से भारत में प्रवेश कर गए थे.
2.क्या CAA कानून मुस्लिमों के खिलाफ है ?
सोमवार (12 मार्च) को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू होने के बाद मुस्लिम समुदायों के संगठनों ने विरोध प्रर्दशन शुरू कर दिया है. मुस्लिम समुदाय के संगठन इस कानून को गलत बता रहे हैं, उनके मुताबिक केंद्र सरकार मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव कर रही है. अधिकतर मुस्लिम समुदायों के अनुसार CAA कानून से देश की अखंडता को गहरा नुकसान पहुंचेगा.
यहां पर मुस्लिम समुदायों की उत्पीड़न नहीं किया जाता बल्कि इन देशों में मुस्लिम समुदायों के अलावा अन्य लोगों को धर्म और समुदाय के नाम पर प्रताड़ित किया जाता है. इसलिए इन देशों के मुस्लिमों को नागरिकता नहीं दी जा सकती लेकिन इन सब के बावजूत भी अगर मुस्लिम भारत की नागरिकता चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए सभी नियमों का पालन करके आवेदन करना होगा. जिसपर पूरी जांच होगी उसके बाद ही सरकार फैसला लेगी.